Essay on Book Fair in Hindi Language Easy
पुस्तक मेला पर निबंध Pustak Mela Essay in Hindi book fair par nibandh: नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है आज के आर्टिकल में हम बच्चों के लिए निबंध लाए हैं. पुस्तक मेले पर दिया गया यह निबंध स्टूडेंट्स के लिए विशेष उपयोगी हो सकता हैं. सरल भाषा में स्पीच निबंध अनुच्छेद पढ़े.
Pustak Mela Essay in Hindi
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Pustak Mela Par Nibandh in Hindi
पुस्तकों को मनुष्य का सच्चा मित्र कहा जाता हैं, इन्हें पढकर ही हम ज्ञान पाते हैं. आज हम किसी विषय के बारे में जो कुछ जानते है इनका आधार किताबें ही हैं. दुनियां में यदि किताबें न होती तो हममें और पशुओं के बीच कोई अंतर नहीं होता. बच्चें पुस्तक पढकर ही सीखना शुरू करते हैं. अक्सर लोग सामान्य ज्ञान, जीवनी, इतिहास, भूगोल, दर्शन, धर्म, निबंध एवं काव्य की पुस्तकों को पढ़ना पसंद करते हैं.
देखने के लिए उत्साह– कुछ दिन पूर्व मेरे दादाजी समाचार पत्र पढ़ रहे थे, तभी उनकी नजर विज्ञापन पर पड़ी जो दिल्ली के पुस्तक मेले की सूचना को लेकर था. तभी दादाजी ने ने कहा- बेटा इस बार पुस्तक मेला 13 को लग रहा हैं. पता नहीं क्यों बस इन शब्दों ने मेरी उत्सुकता को अधिक बढ़ा दिया. मुझे बालपन से ही नई नई पुस्तकें पढ़ने का शौक था. अतः मेने अपने दोस्त को मेले में चने का न्यौता दिया तो वह भी चलने को तैयार हो गया.
सभी तरह की पुस्तकों के लिए सुलभ केंद्र पुस्तक मेले होते हैं जहाँ सभी तरह की पुस्तकें एक ही स्थान पर उपलब्ध हो जाया करती हैं. मैं पिछले वर्ष दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेले में गया था. मेरे जीवन का यह पहला पुस्तक मेला मेला था. अपने प्रिय दोस्त के साथ मेले को देखने हम सवेरे निकल पड़े. प्रवेश द्वार पर लगे टिकट काउंटर से हमने मेले की दो टिकट खरीदी और प्रवेश लिया.
पुस्तक मेले का महत्व- एक पुस्तक प्रेमी के लिए इस तरह के मेले बेहद आकर्षण का केंद्र होते हैं. एक और मनोरंजन तथा घूमने का अवसर मिल जाता हैं, वहीँ पढ़ने के लिए नई पुस्तकें भी उपलब्ध हो जाया करती है. आज के डिजिटल दौर में ऑनलाइन पुस्तक विक्रय के चलते इन आयोजनों के प्रति काफी उदासीनता देखी गई हैं.
फिर भी पुस्तक मेले हमारी बहुत सी आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले होते हैं. यहाँ विविध तरह की दुलर्भ पुस्तकें भी बड़ी आसानी से मिल जाया करती हैं. कम दाम में अच्छी पुस्तकें खरीदने के ये बेहतरीन स्थल बनते जा रहे हैं. लोग अपने पसंद की पुस्तक को यहाँ पा सकते हैं.
यहाँ क्लासिक कहानियों की पुस्तकों से लेकर देशी विदेशी प्रसिद्ध पुस्तक लेखकों द्वारा लिखित बाल पुस्तकें, इतिहास दर्शन से जुडी किताबे व उपन्यास हो जाती हैं. जासूसी, अपराध साहित्य एवं बाल सहित्य तथा खोजी पाठकों के लिए विशाल संख्या में किताबे उपलब्ध रही हैं. यही वजह है कि पुस्तक प्रेमी यहाँ खीचे आते हैं.
मैं अपने दोस्त के साथ मेले में आगे बढ़ रहे थे, हर ओर बस पुस्तकों के भंडार ही नजर आ रहे थे. बड़े डिस्काउंट ऑफर के विज्ञापन सजे थे. एक से एक बेहतरीन किताबें यहाँ उपलब्ध थी. हमने पुस्तके खरीदने से पूर्व पुरे मेले का भ्रमण करना चाहा हम आगे बढ़ ही रहे थे कि चाय नाश्ते के स्टाल दिखाई पड़े. हमने चाय पी और नाश्ता किया.
मुझे बालपन से ही धार्मिक पुस्तकों के प्रति गहरा रूझान रहा, विशेषकर हिन्दू धर्म से जुडी प्राचीन पुस्तकें मुझे बेहद प्रिय लगती हैं. मेरी नजरें अभी तक ऐसे प्रकाशक को खोज रही थी जहां मेरी पसंद कि ये सभी पुस्तकें मिल जाए. मैं अपने दादाजी के लिए भगवतगीता एवं चारों वेद तथा स्वयं के लिए रामायण और महाभारत की पुस्तक खरीदना चाहता था.
हम कुछ ही कदम आगे बढ़े थे कि मेरी नजर कृष्ण अर्जुन के पुस्तक पृष्ट पर पड़ी, वह भागवत गीता ही थी. कदम उस ओर अनायास ही बढ़ गये मानों मंजिल यही हैं. मैंने विक्रेता से अपनी पसंद की किताबों का पूछा तो उन्होंने स्वीकारोक्ति में सिर हिलाते हुए मेरे लिए सभी 7 पुस्तकें लाकर रख दी. कुछ मिनट तक बारी बारी से सभी को देखता रहा और अंत में भुगतान कर ये पुस्तकें हमने खरीद दी.
मेरे दोस्त हिंदी साहित्य के यूँ कह लिजिएँ भक्त पाठक हैं वे प्रेमचन्द जी के सिवाय किसी को लेखक ही नहीं मानते हैं जब देखता हूँ वे मुंशीजी के किसी उपन्यास को या तो पढ़ रहे होते है अथवा उसकी चर्चा कर रहे होते हैं. यकीनन वे प्रेमचन्द का कोई उपन्यास खरीदना चाहते थे. मैंने मजाक मजाक में उनसे कहा- यहाँ तो शेक्सपियर भी मिल जाएगे. फिर क्या था वो बोल पड़े उनका जवाब सुनकर मैं पानी पानी हो गया.
जब हमारे पास कोहिनूर है तो ख़ाक क्यों छाने. ये शब्द काफी थे मैं समझ चूका था वे क्या कहना चाहते हैं. एक स्टाल से उन्होंने कुछ पुस्तकें खरीदी और हम अब आगे बढ़ चले. पास ही के एक ग्राउंड में क्रिकेट मैच चल रहा था. मित्र महाशय में क्रिकेट का कीड़ा भी गजब का था. बोले चलो एक चीज दिखाता हूँ स्टेंड में ले जाकर बिठा दिया एक डेढ़ घंटा हमारा उस मैच को देखने में ही निकल चला.
सूर्य देव धीरे धीरे पश्चिम की ओर चले पड़े हमें भी घर चलना था. हम निकले और बस पकडकर अगले एक घंटे में अपने घर आ चुके थे. जब मैंने घर जाकर दादाजी को वे पुस्तकें दी तो पता नहीं क्यों जैसे वो जानते थे कि मैं उनके लिए ये लाने वाला हुआ उन्होंने मुझे गले लगाते हुए शाबासी दी और गीता का एक श्लोक कह सुनाया, जिसका अर्थ तो मैं नहीं समझ पाया, सोचता हूँ आशीष वचन ही कहे होंगे.
जिस तरह आज घर घर इन्टरनेट ने अपनी दस्तक दी हैं. पुस्तकों का महत्व निरंतर कम होता जा रहा हैं. लोग अपने फोन में ही अब किताबे पढ़ने लगे हैं. मगर इससे आँखों का बड़ा नुकसान भी होता हैं. दूसरी तरफ पुस्तके छपनी भी कम हो रही हैं ऐसे में कहीं हम मूल्यवान ज्ञान के स्रोत को न खो दे.
आप भी जब कभी पुस्तक मेले में जाने का अवसर हाथ लगे अवश्य जाए. क्योंकि पुस्तकें ही हमारी सच्ची मार्गदर्शक होती है. इस तरह के आयोजन कही लुप्त न हो जाए इसलिए पुस्तक मेले जाए भी और अपनी पसंद की कोई किताब जरुर अपने साथ लेकर आए.
निबंध 600 शब्द
जिस प्रकार हमारा कोई खास दोस्त, हमारा सबसे अच्छा मित्र होता है उसी प्रकार पुस्तक भी हमारी अच्छी मित्र होती हैं। पुस्तको के द्वारा ही हमें विभिन्न प्रकार का ज्ञान हासिल होता हैं और व्यक्ति की गिनती बुद्धिजीवी व्यक्ति में होने लगती हैं।
पुस्तक का कभी भी विनाश नहीं होता है बल्कि वह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को प्राप्त होती रहती है। उदाहरण के तौर पर प्राचीन काल में लिखे गए महत्वपूर्ण ग्रंथ जैसे कि महाभारत, रामायण, उपनिषद और वेद आज भी जिंदा है और हमारे पास मौजूद है। इन ग्रंथों की रचना वैसे तो हुई हजारों साल पहले ही है परंतु आज भी इनके द्वारा हमें प्रेरणा मिलती है और सही और गलत का सबक भी मिलता है।
आज के समय में जहां लोगों के मन में दया नाम की चीज रह नहीं गई है, ऐसी अवस्था में लोगों के अंदर करुणा पैदा हो, इसके लिए हमें अपनी तरफ से धार्मिक पुस्तकों का प्रचार प्रसार करना चाहिए और खुद भी प्रचार-प्रसार करने के साथ ही साथ उन पुस्तकों के अध्ययन में रुचि रखनी चाहिए और उनका फायदा उठाना चाहिए।
पुस्तके वैसे तो कई प्रकार की होती है परंतु हमें बुरी पुस्तकों को छोड़कर के अच्छी पुस्तकों को ही पढने पर जोर देना चाहिए क्योंकि जब हम अच्छी पुस्तकें पढेगे तो हमें अच्छा ज्ञान भी प्राप्त होगा और अच्छी पुस्तकें कई रूपों में विभिन्न विषयों पर प्राप्त होती हैं।
अब तो अधिकतर पुस्तकें ऑनलाइन भी आ चुकी है जिसे हम पीडीएफ फॉर्मेट में डाउनलोड करके पढ़ सकते हैं। इसके लिए ना तो हमें कोई पैसे खर्च करने हैं ना ही कहीं पर जाने की जरूरत है।
पुस्तक मेला हमारे लिए एक प्रकार का वरदान ही होता है, जहां पर हमें अलग-अलग पाठकों से और लेखकों से मिलने का मौका मिलता है। पुस्तक मेला में तमाम प्रकार की पुस्तक मौजूद होती है जिन्हें हम सरलता से प्राप्त कर सकते हैं।
पुस्तक मेला में हमें यह भी सुविधा मिलती है कि हम अपनी पसंद की पुस्तक के पन्नों को उलट पलट करके उनकी क्वालिटी, सब्जेक्ट और इंफॉर्मेशन के बारे में जानकारी देख सके या फिर पढ़ सकें। इसके अलावा पुस्तक मेले में एक पाठक दूसरे पाठक से अपने अपने विचारों का आदान-प्रदान भी कर सकता है, साथ ही वह पुस्तक बेचने वाले लोगों से मार्गदर्शन भी ले सकता है।
मुझे पुस्तक मेला काफी अच्छा लगता है और सौभाग्य से पुस्तक मेले में जाने का मौका मुझे तब मिला जब मेरे घर के पास में स्थित काशी मैदान में श्री नारायण संस्था के द्वारा पुस्तक मेले का आयोजन किया गया। इसके लिए पहले से ही काफी तैयारी की गई थी।
जैसे किस व्यक्ति को कहां पर पुस्तक मेले में स्टॉल दिया जाएगा। पुस्तक मेला में पुस्तक बेचने वाले लोग सुबह इकट्ठा हो गए थे और सभी ने अपनी-अपनी दुकानों को पुस्तको के द्वारा सजा दिया था। पुस्तक मेले में मेरे घर के आस-पास के लोग तो आए ही हुए थे। इसके अलावा वहां पर दूसरे जिले और दूसरे राज्यों के भी बड़े-बड़े पुस्तक विक्रेता और प्रकाशक पहुंचे हुए थे।
जब मैं पुस्तक मेले में पहुंचा तो वहां पर अलग-अलग दुकाने मुझे दिखाई दी, जिनमें अलग-अलग भाषाएं की पुस्तके थी, परंतु मुख्य तौर पर पुस्तक मेला में हिंदी भाषा की किताबें ज्यादा थी। इसके अलावा वहां पर काफी अधिक मात्रा में अंग्रेजी भाषा की किताबें भी थी। हर व्यक्ति अपनी रुचि के हिसाब से पुस्तक देख रहा था अथवा पढ़ रहा था या फिर खरीद रहा था। कुछ लोग पुस्तकों को लेकर के आपस में चर्चा भी कर रहे थे।
मैंने भी पुस्तक मेले से प्रेमचंद्र की कहानी और अंग्रेजी भाषा की एक डिक्शनरी खरीदी और मेरे छोटे भाई के लिए मैंने पंचतंत्र की कहानियों वाली किताब खरीदी। इस प्रकार यह पुस्तक मेला देखना मेरे लिए काफी अच्छा अनुभव रहा है जिसे मैं हमेशा याद रखूंगा।
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